सोचता हूँ मैं कहीं रूककर आज भी क्या सुनहरे पल थे वह भी। सोचता हूँ मैं कहीं रूककर आज भी क्या सुनहरे पल थे वह भी।
याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव, हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.। याद बहुत आता है अक्सर मुझको मेरा गांव, हरे भरे वो खेत बगीचे और बरगद की छांव.।
फिर भी तेरी याद अपने संग इस नए घर में ले आया। फिर भी तेरी याद अपने संग इस नए घर में ले आया।
बूढ़ा कहकर कोई हसीना कभी न दे उसको ताने। बूढ़ा कहकर कोई हसीना कभी न दे उसको ताने।
वो बचपन ही था पूरा खजाना अपना। वो बचपन ही था पूरा खजाना अपना।
तब फैंक दिये उठा के सब सोचा अब सुख पहनूँगी। तब फैंक दिये उठा के सब सोचा अब सुख पहनूँगी।